हमें इस मानव जीवन को फोकट मान ओर गुमान में नहीं खोना है! क्योंकि यह शरीर भी भोतिक है, इसिलिये इन माया व काया का अहंकर मत कर क्योंकि यह जीवन की रंगीनीयां तो समाप्त हो जायेगी!
इसिलिये साहब कबीर कहते है कि अच्छी करनी करले तेरी करनी का
साथी कोइ दुसरा नहीं रहेगा
तो मत कर मान गुमान केसरिया रंग उड जायेगा...
पानी केरा बुद्बुदा, अस मानुष की जात!
देखता ही छुप जायेगा, ज्यों तारा प्रभात!!
माया तजी तो क्या भया, मान तजा नहीं जाय!
मान बडे रिशी मुनी गले, मान सबन को खाय!!
मत कर मान गुमान
मत कर मान गुमान
मत कर माया को अहंकार
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
यो संसार कागज केरी पुडिया
बुंद पडे गल जाय-----(1)
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
मत कर मान गुमान
मत कर माया को अहंकार
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
यो संसार झाड ओर झांकर
आग लगे जल जाय
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
मत कर मान गुमान
मत कर माया को अहंकार
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
यो(यह) संसार बोर वाली झाडी
उलझ पुलझ मर जाय-----(2)
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
मत कर मान गुमान
मत कर माया को अहंकार
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
यो संसार हाट वालो मेलो
सौदा करे घर जाय
मुरख मुल गंवाय-----(3)
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
मत कर मान गुमान
मत कर माया को अहंकार
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
यो संसार कांच केरी चुडियां
लागे टकोरो झड जाय-----(4)
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
मत कर मान गुमान
मत कर माया को अहंकार
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
कहे हो कबीर सुनो भाई साधो
थारी करनी रो साथी कोई नाय-----(5)
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
मत कर मान गुमान
मत कर माया को अहंकार
केसरिया(गुलाबी) रंग उड जायेगा...
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