म्हाने संत संगत प्यारी लागे हे माय
by Prahlad Singh Ji Tipaniya
म्हाने संत संगत प्यारी लागे हे माय
म्हारो मन लाग्यो इणा भजना में
महल अटरिया म्हारे नहीं सुहावे रे...
म्हारे जंगल की कुटिया प्यारी लागे है माय-----(1)
हीरा जवाहरात म्हारे नहीं सुहावे रे
म्हारे फुलों की माला प्यारी लागे है माय------(2)
खीर खाण्ड का भोजन म्हाने नहीं सुहावे रे
म्हारे शब्दा री खीर प्यारी लागे है माय------(3)
मीरा को प्रभु गुरधर मिल गया रे...
गुरु चरणों की बलिहारी है माय------(4)
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