Friday, July 10, 2020

लाख-लाख वंदन Laakh Laakh Vandan by Prahlad Singh Ji Tipaniya



वर्ष 2007 के इस गुरु महोत्सव पर्व पर आप सबका स्वागत है।
सदगुरु कबीर स्मारक शोध सेवा संस्थान के तत्वाधान में गुरु महोत्सव पर्व मनाया जा रहा है।
समस्त गुरुजनों के प्रति हमारी श्रद्धा सुमन।
गुरु वंदना के रूप में, साहैब कैसेट, के मार्फ़त प्रस्तुत करना चाहते है।
ओर इसी पर्व पर गुरु वंदना के शब्द आपके प्रति समर्पित है।
जिसमें वो गुरु जी रुहानियत से जोड़ते है और मानवमात्र को, ओर अपने अंदर की कटुता को तोड़ने का काम करते है और कटुता को दूर करते है।
इसी कार्यक्रम में साहब कैसेट के मार्फ़त यह गुरु वंदना प्रस्तुत है,

भजन लाख लाख वंदन 
गायक प्रहलाद सिंह जी टिपानिया  
Laakh Laakh vandan
Singer prahlad singh ji tipaniya

ध्यानमूलं गुरुमूर्ति, पूजमूलं गुरूपदं।
मंत्रमुलं गुरूवाक्यं, ओर मोक्षमुलं गुरुकृपा।।

ओर जब गुरु की कृपा होगी तो तब क्या होगा?

गुरु बिन ज्ञान न उपजे, ओर गुरु बिन मिले न मोक्ष।
गुरु बिन लखे कोई सत्य को, ओर गुरु बिन मिटे न दोष।।

हमारे जीवन की कमियां ओर खामिया जब तक सच्चे सद्गुरु नहीं मिले, तब तक दूर होना संभव नहीं है।
ओर सच्चे सदगुरु कौन?
जो सत का भाव हर मानवमात्र के प्रति प्रवाहित करे, इसीलिए तो सतगुरु कबीर ने कहा है,

सतगुरु तो सतभाव है , जो अस भेद बताए।
धन्य भाग्य धन्य शीश जैसे, जो ऐसी सुधी पाए।।

जब ऐसे सदगुरू मिल जाए, ओर जो ऐसी सुधी पा लें, ऐसी समझ, परख व पारख को अपने जीवन में आत्मसाध कर लें, तो ही हमारा जीवन धन्य होगा।
परंतु, गुरु इस संसार में बहुत हैं। जो अनेक प्रकार से जीवों को दूर करने का कार्य भी करते है।
जबकि गुरु का काम, संतो का काम, मिलाने का है, जोड़ने का है, तोड़ने का नहीं, एक दूसरे से दूर करने का नहीं।
क्योंकि दाता ओर नदियां एक समान होती है, ओर यही रहनी ओर गहनी गुरु की होती है, इसलिए तो सदगुरु कबीर ने कहा है,

दाता नदियाँ एक सम, ओर सबका काहू को देत।
हाथ कुम्भ जिसका जैसा, वो वेसा ही फल देत।।

हमारा भी यह दायित्व होता है कि हम हमारी चूक, कमियों ओर खामियों को दूर करें।
इसलिए कहा है

गुरु बेचारे क्या करे, ज्यों शिष्य माही चूक।
भावे ही पर मून्दिये, जैसे बाँस बजाई फुंक।।

इसलिए गुरु वो है जो गम के सागर है, बोध के सागर है, ओर हर  इंसान के जीवन को संवारने के काम करते हैं।
इसलिए हमारी चौरासी जो चार उंगली की है, मेरे दृष्टिकोण से।
उससे मुक्त करने का काम सच्चे सतगुरु का होता है। ओर हम आज के इस गुरु पर्व पर, गुरु वंदना के मार्फत आज के इस गुरु महोत्सव के कार्यक्रम की शुरुआत करें।

लाख-लाख वंदन तमने, कोटि-कोटि वंदन।-----×2
गुरु गम का सागर तमने लाख-लाख वंदन।।-----×2

क्यों लाख-लाख वंदन, हम तो अज्ञानी जीव है, गुरु की शरण में आये है, ओर गुरु हमारे अंदर के अज्ञान को दूर करेंगे, ओर ज्ञान का दीपक प्रज्वलित करेंगे।
इसलिए कहा है,

अज्ञान जीवड़ो गुरुजी, चरणों में आयो।-----×2
ज्ञान को दीपक गुरुजी, जलाई हो दीजो।।------(1)

गुरु गम का सागर तमने लाख-लाख वंदन।।-----×2

लाख-लाख वंदन तमने, कोटि-कोटि वंदन।
गुरु गम का सागर तमने लाख-लाख वंदन।।-----×2

चौरासी लाख योनी में भटक कर जब जीव, गुरु की शरण में आता है तो निश्चित ही वो चौरासी लाख योनी को काटते हैं, जो विषय वासना की है। इसीलिये,

लख हो चौरासी में जीवड़ो, भटकी ने आयो।-----×2
अबकी चौरासी गुरुजी, छुड़ाई हो दीजो।।------(2)


गुरु गम का सागर तमने लाख-लाख वंदन।।-----×2

लाख-लाख वंदन तमने, कोटि-कोटि वंदन।
गुरु गम का सागर तमने लाख-लाख वंदन।।-----×2

ईसलिये सच्चे सतगुरु हर इंसान के, हर मानवमात्र के जीवन को संवारने का काम करते है इसलिये तो यह विनती ओर यह प्रार्थना है इस सेवक कि,

डूबत-डूबत हो गुरूजी, आपने बचाया।-----×2
अबको जीवन हो गुरुजी, सँवारी हो दीजो।।------(3)

गुरु गम का सागर तमने लाख-लाख वंदन।।-----×2

लाख-लाख वंदन तमने, कोटि-कोटि वंदन।
गुरु गम का सागर तमने लाख-लाख वंदन।।-----×2

इसलिए हर सच्चे सेवक की सच्ची श्रद्धा सुमन अपने गुरुजी के प्रति समर्पित है इसलिए तो कहा है,

इना हो सेवक की गुरुजी, अरज गौसांई।-----×2
म्हारो आवागमन को बंधन, छुड़ाई हो दीजो।।------(4)

गुरु गम का सागर तमने लाख-लाख वंदन।।-----×2

लाख-लाख वंदन तमने, कोटि-कोटि वंदन।
गुरु गम का सागर तमने लाख-लाख वंदन।।-----×2

Translation


Welcome to this Guru Mahotsav festival of the year 2007.

The Guru Mahotsav festival is being celebrated under the aegis of Sadguru Kabir Memorial Research Service Institute.

We pay tribute to all the gurus.

As Guru Vandana, We wants to present through saheb cassette.

And on this festival, the words of Guru Vandana are devoted to you.

In which that Guru ji connects with unhappiness and works to break the bitterness within and towards mankind and remove bitterness.

In this program, this Guru Vandana is presented through Sahib Cassette,

Dhyanmulam Gurumurthy, Pujamoolam Gurupadan.
Mantramulu Gurukavya, and Mokshamulan Gurukripa.

And what will happen when the Guru is pleased?

Without Guru knowledge neither yielded, and without Guru did not meet or salvation.
Without Guru can't reach to truth, and without Guru, our sins will not melt.

It is not possible to overcome the shortcomings and shortcomings of our lives till the true Sadhguru is found.

And who is the true master?

Which makes the sense of truth flow towards every human being, that is why Satguru Kabir has said,



A Satguru is a Satbhav who can tell a difference.

Blessed luck like blessed head who finds such a fix.




When such a master is found, and those who get such improvement, make such understanding, test and understanding in our life, then only our life will be blessed.

But, there are many gurus in this world. Which also do the work of removing organisms in many ways.

Whereas the work of the Guru, the work of saints, is to unite, not to add, not to break, not to distance from each other.

Because the donor and the rivers are the same, and the same remains and the jewels belong to the master, that's why Sadguru Kabir has said,



The donor rivers are equal, and give it to everyone.
Hath Kumbh gives, The same fruit as it.

We also have an obligation to remove our deficiencies, shortcomings and shortcomings.

So Kabir says that,

What should the poor teacher do as the disciple  missed in students.
Let go of the mood, as the bamboo blows.

Therefore, the Guru is the ocean of sorrow, the ocean of realization, and works to improve the life of every human being.

So our eighty-four lifes who are same as our four fingers, from my point of view.

It is the job of the true Satguru to liberate him from it. And on this Guru festival of today, we should start the program of today's Guru Mahotsav through Guru Vandana.

Millions of welcome you Guru, Billions of welcome.----- ×2
Thousand and millions of welcomes for the Guru.----- ×2

Why Millon's of Welcome, we are ignorant creatures, have come under the shelter of Guru, and Guru will remove the ignorance inside us, and will light the lamp of knowledge.

So Kabir says that,

Ignorance mind has come at your feet, Guruji.----- ×2
Please enlightened Lamp of knowledge in my mind Guruji.----- (1)

Thousand and millions of welcomes for the Guru.----- ×2


Millions of welcome you Guru, Billions of welcome.----- ×2

Thousand and millions of welcomes for the Guru.----- ×2



When the creature comes to the Guru's shelter by wandering in the eighty-four million vulva, he surely cuts the four hundred and eighty-four vulva, which is the subject of lust. That is why,



Million of live of Chaurasi, This Mind has came after wandering.----- (2)
This eighty-four live Guruji, Please let them left.----- ×2

Thousand and millions of welcomes for the Guru.----- ×2


Millions of welcome you Guru, Billions of welcome.----- ×2

Thousand and millions of welcomes for the Guru.----- ×2

Therefore, true Satgurus do the work of grooming the life of every human being, therefore it is a request and a prayer of this servant,

Guruji, you saved me from to drown.----- ×2

Guruji, Please decorate my life this time.----- (3)


Thousand and millions of welcomes for the Guru.----- ×2


Millions of welcome you Guru, Billions of welcome.----- ×2

Thousand and millions of welcomes for the Guru.----- ×2

That is why the true devotion of every true servant is devoted to Suman, that is why he said,

This servant request you Guruji, Arj Gausanai
Please let you leave this bonding of this world.----- ×2

Thousand and millions of welcomes for the Guru.----- ×2


Millions of welcome you Guru, Billions of welcome.----- ×2

Thousand and millions of welcomes for the Guru.----- ×2

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