Wednesday, July 22, 2020

बिना चंदा रे, बिना भान Bina Chanda Re Bina Bhan by Prahlad Singh ji Tipaniya

संतों के शब्दों में अनेक महापुरुष हुए सभी का संदेश शब्दों के जरिए मानवमात्र को चेतना प्रदान करना है। परंतु उस भूमिका पर जाने के बाद भी हमें एहसास होता है कि वहां पर न किसी प्रकार का राग है,न द्वेष है, ओर ना ही वह किसी प्रकार की स्थिति को निरूपित होता है। वहाँ पर बनानाथ जी ने, भवानीनाथ जी ने अनेक प्रकार से समझाया है। इस भजन में भवानीनाथ जी ने कहा है।

बिना चंदा रे, बिना भान 
Bina Chanda Re Bina Bhan
गायक-प्रह्लाद सिंह जी टिपानिया भजन अमृतवाणी 
Singer: Prahlad Singh ji Tipaniya 
जल में बसे कुमुदिनी, चंदा बसे आकाश।
ज्यो जिसके हिरदे बसे, वो ही उसी के पास।।

बिन पावन का पंथ है, बिन बस्ती का देस।
बिना पिण्ड का पुरूष है, कहे कबीर संदेस।।

बिना चंदा रे, बिना भान,
सूरज बिना होया उजियारा रे।

परलोक मत जाओ हेली,
निरख लो यहीं उजियारा है।

हैली म्हारी, गूँगों गावे है अब राग,
बेरो(बहरा) अब सुणवा(सूनने) ने लागो है।

पांगलीयो(लूला) नाचे घणो नाच ,हैली,
आन्दलियो(अंधा) नरखण(देखना) लागो है।_____(1)

हैली म्हारी, बिना चंदा रे, बिना भान,
सूरज बिना होया उजियारा रे।

परलोक मत जाओ हेली,
निरख लो यहीं उजियारा है।

हैली म्हारी, गगन मण्डल के बीच,
तापे एक जोगी मतवाला रे।

नहीं अग्नि ना भभूत हेली,
नहीं कोई तापण वालो है।_____(2)

हैली म्हारी, बिना चंदा रे, बिना भान,
सूरज बिना होया उजियारा रे।

परलोक मत जाओ हेली,
निरख लो यहीं उजियारा है।

हैली म्हारी, शून्य शिखर के बीच,
मच्यो एक झगड़ो भारी है।

नहीं कायर को वहाँ काम हैली,
कायर को कई पतियारो है।_____(3)

हैली म्हारी, बिना चंदा रे, बिना भान,
सूरज बिना होया उजियारा रे।

परलोक मत जाओ हेली,
निरख लो यहीं उजियारा है।

हैली म्हारी, गावे गुलाबीदास,
खुल्या म्हारा हिरदा(हृदय) का ताला है।

बोल्या भवानीनाथ हैली,
हुआ म्हारा घट उजियारा है।_____(4)

हैली म्हारी, बिना चंदा रे, बिना भान,
सूरज बिना होया उजियारा रे।

परलोक मत जाओ हेली,
निरख लो यहीं उजियारा है।

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