एसे सच्चे सदगुरू के चरणों में जब इंसान चला जाता है जो गुरु के शब्दों को अपने अंतर में चिन्हित कर लेता है... जो सतगुरु को पूजा पाठ
क़ुबूल होती है ओर उसके लिए बाहरी किसी प्रकार की गतिविधि करने की जरूरत नहीं है। ओर यही उसके मन को गुरु के शब्दों में रंगने की प्रक्रिया है। ओर इसी बात को अनेक जिज्ञासुओं ने
अपने-अपने तोर तरीके से कही है। क्योंकि वो परमात्मा, ईश्वर, अल्लाह, वाहेगुरु सब घट में बराबर स्थिति में मौजुद है। ओर उसको मनाने के लिए बाहरी गतिविधि के स्थान पर हम अपने अंतर में अपने मन को स्थापित करें...शुन्य की ओर टिकाने का प्रयास करें। इसिलिए इस शब्द में इस तरह से कहा है...
एजी कबीर सब घट आत्मा,ओर सिरजी सिरजनहार।
अरे राम कहे सो राम संग,ओर रहता ब्रह्म विचार।।
एजी सतगुरु आतम द्रष्टि है,ओर इन्द्रिय टिके न कोई।
अरे सतगुरु बिन सुझे नहीं, ओर खरा दुहेला होय।।
तो पूरा सतगुरु सेवता, ओर अंतर प्रगटे आय।
अरे मनसा, वाचा, कर्मणा, ओर मिटे जनम के ताप।।
सतगुरु देव मनाया...
कबीर भजन गायक-प्रह्लाद सिंह जी टिपानिया भजन अमृतवाणी
अरे सतगुरु देव मनाया हो,
हमने गंगा गुरुदेव मनाया है...
अरे सतगुरु देव मनाया हो सईयाँ,
हमने सतगुरु देव मनाया है...
कैसे मनाएं...
अरे उगा भाण भला पीव आया,
आनंद उर में छाया है...
सतगुरु देव मनाया हो,
हमने गंगा गुरुदेव मनाया है...
सतगुरु देव मनाया हो सईयाँ,
सतगुरु देव मनाया है...
अरे चित का चोक पूराया हो,
गुरु का माण्डन माण्ड मण्डाया है...
अरे प्रेम मगन होई अनुभव जाग्या,
तो सत का पाट बिछाया है।(1)
अरे सतगुरु देव मनाया हो,
हमने गंगा गुरुदेव मनाया है...
सतगुरु देव मनाया हो सईयाँ,
सतगुरु देव मनाया है...
अरे उगा भाण भला पीव आया,
आनंद उर में छाया है...
अरे सतगुरु देव मनाया हो,
सतगुरु देव मनाया है...
अरे सुरत सुहागन करे आरती,
गुरु गम ढोल बजाया है...
ए गगन मण्डल पर सेज पिया की,
सुरता पवन हिलाया है।(2)
अरे सतगुरु देव मनाया हो,
हमने गंगा गुरुदेव मनाया है...
सतगुरु देव मनाया हो सईयाँ,
सतगुरु देव मनाया है...
अरे उगा भाण भला पीव आया,
आनंद उर में छाया है...
अरे सतगुरु देव मनाया हो,
सतगुरु देव मनाया है...
सुरत-नुरत मिलत पीव दरसे,
सिव में जीव समाया है...
है त्रिकुटी का रंगमहल में,
सतगुरु फाग रमाया है।(3)
अरे सतगुरु देव मनाया हो,
हमने गंगा गुरुदेव मनाया है...
अरे उगा भाण भला पीव आया,
आनंद उर में छाया है...
अरे सतगुरु देव मनाया हो,
सतगुरु देव मनाया है...
अरे ज्वालापूरी गुरु समरथ दाता,
केवल पद दर्शाया है ...(4)
अरे मोहनपूरी स्वरुप समाधि,
आप में आप लखाया है ।
अरे सतगुरु देव मनाया हो,
हमने गंगा गुरुदेव मनाया है...
अरे उगा भाण भला पीव आया,
आनंद उर में छाया है...
अरे सतगुरु देव मनाया हो,
सतगुरु देव मनाया है...
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