हर हर मारुँगा... Har Har Marunga...
गायक-प्रह्लाद सिंह जी टिपानिया
Singer: Prahlad Singh Ji Tipaniya
गगन मण्डल के बीच में, ओर जहां झलके हे नूर।
नुगरा महल ना पाविया, ओर पहुंचेगा कोई सुर।।
हर हर मारुँगा...
हर हर मारुँगा निसाण साधु,
चोट है आसमान की...
अरे भई चोट हे आसमान की
गुरुज्ञान की हरनाम की...
हर हर मारुँगा निसाण साधु,
चोट है आसमान की...
अरे भई तत्व की तलवार करलो,
ओर मन की कटार जी...
अरे भई शबदा री ढाल करलो,
ओर गोली गुरु के नाम की।_____(1)
हर हर मारुँगा निसाण साधु,
चोट है आसमान की...
अरे भई चोट हे आसमान की
गुरुज्ञान की हरनाम की...
हर हर मारुँगा निसाण साधु,
चोट है आसमान की...
अरे भई अर्द्ध में से उर्द्ध निकल्या,
ओर त्रिकुटी बंदूक की...
अरे भई प्रेम का पालिता करलो,
गोली लागी ज्ञान की।_____(2)
हर हर मारुँगा निसाण साधु,
चोट है आसमान की...
अरे भई चोट हे आसमान की
गुरुज्ञान की हरनाम की...
हर हर मारुँगा निसाण साधु,
चोट है आसमान की...
अरे भई कायागढ़ में फोज लागी,
ओर सुरा दोई आथड़िया...
अरे भई सुरा तो रणखेत रइ गया,
ओर कायर भाग्यो जाए री।_____(3)
हर हर मारुँगा निसाण साधु,
चोट है आसमान की...
अरे भई चोट हे आसमान की
गुरुज्ञान की हरनाम की...
हर हर मारुँगा निसाण साधु,
चोट है आसमान की...
अरे भई साधु के सन्मुख रहना,
ओर पापी से पग दूर जी...
अरे भई साधु मिल गया सुगढ़ वाला,
पापी प्रलय ले जाए री।_____(4)
हर हर मारुँगा निसाण साधु,
चोट है आसमान की...
अरे भई चोट हे आसमान की
गुरुज्ञान की हरनाम की...
हर हर मारुँगा निसाण साधु,
चोट है आसमान की...
हाँ कहे कबीर सा सुण ले गोरख,
चाकरी हुजूर की।_____(5)
हर हर मारुँगा निसाण साधु,
चोट है आसमान की...
अरे भई चोट हे आसमान की
गुरुज्ञान की हरनाम की...
हर हर मारुँगा निसाण साधु,
चोट है आसमान की...
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