Monday, August 31, 2020

घणो रिझायो वो लाड़ली ने by Prahlad Singh Ji Tipaniya


सुरती फसी संसार में, ओर या से पड़ गया दूर!
सुरत बांध स्थिर करो, तो आठो पहर हुजूर!!
ईंगला पिंगला के घाट को खोजले, ओर भ्रमर गुंजार तहां करत भाई!
सुक्षमणा नीर जहां निर्मल बहे, तासु की नीर पिये प्यास जाई!!
पांच की प्यास तहां देखी पुरी भई, तीन की ताप तहां लागे नाहीं!!
कहे कबीर यह अगम का खेल है, ओर गेब का चांद ना देख माही
गेबी आया गेब से, ओर यहां लगाई एब!
उलट समाना आप में, मिट गई सारी एब!!
गेबी तो गली-गली, अजगेबी कोई एक!
अजगेबी को वो लखे, जाके हिरदे विवेक!!
घणो रिझायो वो लाड़ली ने
यो वर पायो लाड़ली ने, यो वर पायो री...
घणो रिझायो वो लाड़ली ने, घणो रिझायो री...
म्हारी सुरत सुहागण नवल बणी, साहब वर पायो री...
भट्कत- भट्कत सब जग भट्क्या, आज यो अवसर आयो वो हेली!
अबके अवसर चूक जाओगा, फिर नहीं ठिकाणा पायो
बनड़ा ने घणो रिझायो री...
यो वर पायो लाड़ली ने, यो वर पायो री...
घणो रिझायो वो लाड़ली ने, घणो रिझायो री...
म्हारी सुरत सुहागण नवल बणी, साहब वर पायो री...
राम नाम का लगन लिखाया, सदगुरु ब्याव रचाया वो हेली...
सांई शब्द ले सामने मिल गया, तोरण बिंद जड़ायो वो हेली!!‌‌‌-----(1)
यो वर पायो लाड़ली ने, यो वर पायो री...
घणो रिझायो वो लाड़ली ने, घणो रिझायो री...
म्हारी सुरत सुहागण नवल बणी, साहब वर पायो री...
सत्यनाम की चंवरी रचाई, पटलो प्रेम सवायो वो हेली...
अविनाशी का जोड़या हथेला, ब्रह्मा लगन लगायो!!-----(2)
यो वर पायो लाड़ली ने, यो वर पायो री...
घणो रिझायो वो लाड़ली ने, घणो रिझायो री...
म्हारी सुरत सुहागण नवल बणी, साहब वर पायो री...
प्रेम की पीठ सुरत की हल्दी, नाम को तेल चड़ायो वो हेली...
पांच सखी मिल मंगल गावे, यो मोतिया मण्डप छायो!!-----(3)
यो वर पायो लाड़ली ने, यो वर पायो री...
घणो रिझायो वो लाड़ली ने, घणो रिझायो री...
म्हारी सुरत सुहागण नवल बणी, साहब वर पायो री...
रंगमहल में सेज पिया की, ओड़े सुरत सवायो वो हेली...
अब म्हारी प्रीत पिया संग लागी, सब संतन मिल पायो!!-----(4)
यो वर पायो लाड़ली ने, यो वर पायो री...
घणो रिझायो वो लाड़ली ने, घणो रिझायो री...
म्हारी सुरत सुहागण नवल बणी, साहब वर पायो री...
चौरासी का फेरा फिरकर, बिंद परण घर आयो वो हेली...
कहे कबीर सुनो भाई साधो, यो हंस बधावो गायो वो हेली!!-----(5)
यो वर पायो लाड़ली ने, यो वर पायो री...
घणो रिझायो वो लाड़ली ने, घणो रिझायो री...
म्हारी सुरत सुहागण नवल बणी, साहब वर पायो री...



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