एकला मत छोड़जो बंजारा रे
Ekla Mat Chod jo Banjara Re
गायक-प्रह्लाद सिंह जी टिपानिया भजन
Singer: Prahlad Singh ji Tipaniya 
सब आया एक ही घाट से, ओर उतरे एक ही घाट।
पर बीच में दुविधा पड़ गई, तो हो गए बारह बाट।।
कबीर कुआ एक है, ओर पणिहारी है अनेक।
बर्तन का है आंतरा, ओर नीर एक का एक।।
एकला मत छोड़जो बंजारा रे, बंजारा रे।
परदेस का है मामला, टेड़ा हो प्यारा रे।।
अपना साहब जी ने बंगलो बणायो, बंजारा रे, बंजारा रे।
ऊपर रखिया झरोखां, झाँक्या करो प्यारा रे।।_____(1)
एकला मत छोड़जो बंजारा रे, बंजारा रे।
परदेस का है मामला, टेड़ा हो प्यारा रे।।
अपना साहब जी ने बाग लगायो, बंजारा रे, बंजारा रे।
फूलां भारी है छाबड़ी, पोया करो प्यारा रे।।_____(2)
एकला मत छोड़जो बंजारा रे, बंजारा रे।
परदेस का है मामला, टेड़ा हो प्यारा रे।।
अपना साहब जी ने कुओ खोदायो, बंजारा रे, बंजारा रे।
गहरा भरिया नीर वहां, नहाया करो प्यारा रे।।_____(3)
एकला मत छोड़जो बंजारा रे, बंजारा रे।
परदेस का है मामला, टेड़ा हो प्यारा रे।।
कहे कबीर धरमदास से, बंजारा रे, बंजारा रे।
सत अमरापुर पाविया, सौदागर प्यारा रे।।_____(4)
एकला मत छोड़जो बंजारा रे, बंजारा रे।
परदेस का है मामला, टेड़ा हो प्यारा रे।।


 
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